नाख़ुश हूँ मैं

Picture by Arushi Rawat
नाख़ुश हूँ मैं !
हवाओं के बदलते रूख से ,
बंजर होती ज़मीनें, कंकरीट के बढ़ते जंगल,
क़ुदरत के घुटते दम से , नाख़ुश हूँ मैं !
टूटते घर कुनबों से ,
मर चुकी इंसानियत से ,
सच का ये संघर्ष ,
फ़रेब के इस दौर से , नाख़ुश हूँ मैं !
ये लोकतंत्र , ये भीड़तंत्र ,
ये तथाकथित नेता ,
ये सियासी दाँवपेच ,
बिक चुकी विचारधारा से , नाख़ुश हूँ मैं !
काग़ज़ के ये टुकड़े ,
भागती दौड़ती दुनिया ,
प्यार के होते क़त्ल से ,
नफ़रत के बाज़ारों से , नाख़ुश हूँ मैं !